वो अपने शेरों में ऐसे ऐसे शब्द और भाव प्रयोग में लाते हैं की पाठक दाँतों तले उँगलियाँ दबाने को मजबूर हो जाता है.
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वो अपने शेरों में ऐसे ऐसे शब्द और भाव प्रयोग में लाते हैं की पाठक दाँतों तले उँगलियाँ दबाने को मजबूर हो जाता है.
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वृहदारण् यक के विषय में भ्रान्ति निवारण-वृहदारण् यक के मन् त्र का गलत अर्थ आज के युग में लगाया ही जा सकता है, हमने पिछले लेख में इस बात का उल् लेख भी किया था कि समय के अनुसार ही ग्रन् थ लिखे जाते रहे हैं तथा अगर अन् य समय में उन् ही शब् दों का अर्थ या भाव प्रयोग किया जाए तो अनर्थ के अलावा शायद कोई हल नहीं निकलता।